BA Semester-5 Paper-2A History - History of Modern World (1453 A.D-1815 A.D) - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A इतिहास - आधुनिक विश्व का इतिहास (1453 ई. से 1815 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A इतिहास - आधुनिक विश्व का इतिहास (1453 ई. से 1815 ई.)

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2787
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A इतिहास - आधुनिक विश्व का इतिहास (1453 ई. से  1815 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- 1789 की क्रांति से पूर्व फ्रांस की राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।

अथवा
1789 की पूर्व संध्या पर फ्रांस की सामाजिक एवं आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

फ्रांसीसी क्रान्ति (1789) से पूर्व फ्रांस

किसी भी देश में होने वाली क्रान्ति के बीज उस देश की स्थिति और मनोदशा में निहित रहते हैं। असंतोष को जन्म देने वाली भौतिक परिस्थितियाँ क्रान्ति हेतु आवश्यक पृष्ठभूमि तैयार करती हैं तथा बौद्धिक चेतना बहुजन को उन परिस्थितियों से मुक्ति पाने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति में जब भी : सरकार अथवा शासन के लिए पुरानी लीक पर चलना कठिन हो जाता है और वह सुधार योजना द्वारा समयानुकूल नया पथ खोजने में असफल हो जाती है तथा असन्तुष्ट वर्ग को अपनी ताकत का अहसास हो जाता है, तो देश में क्रान्ति अनिवार्य हो जाती है।

1789 ई. की क्रान्ति से पूर्व फ्रांस की राजनैतिक, आर्थिक एवं सामाजिक दशा निम्नवत् थी-

1. फ्रांस की राजनीतिक स्थिति - तत्कालीन फ्रांस में निरंकुश राजशाही थी। निरंकुश शासन की सफलता शासक की योग्यता एवं कुशलता पर निर्भर करती है। फ्रांस के चरमोत्कर्ष का मुख्य नियंता लुई चौदहवां था, जो निरंकुश शासन की प्रतिमूर्ति थी। उसने स्वयं को ही राज्य घोषित किया। वह लोकतंत्र और राजशाही के नियंत्रण के बनी 'एस्टेटस जनरल' जैसी संस्थाओं का घोर विरोधी था। किन्तु उसके ये दोष उसकी कर्मठता और देशभक्ति के गुण के समक्ष छोटे पड़ जाते थे। किन्तु लुई चौदहवें का उत्तराधिकारी लुई पन्द्रहवाँ (1715-1774 ई.) अकर्मण्य था। शासनतंत्र को सुधारने के बजाय वह आमोद- प्रमोद एवं विलासितापूर्वक जीवन में डूबा रहा। उसके शासनकाल में फ्रांसीसी राजतंत्र अपमानित होने लगा तथा फ्रांस का विदेशों में अपमान होने लगा। स्वयं लुई पंद्रहवें ने अपनी मृत्यु के समय कहा था कि मेरे मरने के बाद प्रलय होगी ऐसी निराशाजनक स्थिति में लुई चौदहवां गददी पर बैठा। उसमें नेतृत्व की क्षमता नहीं थी। उसमें न तो स्वयं निर्णय लेने की क्षमता थी और न ही वह दूसरे की सही सलाह समझ सकता था। वह बुद्धिहीन तो नहीं था किन्तु निरर्थक कार्यों में अपना समय बर्बाद करता था। राज्य की समस्याओं में उसको कोई रुचि नहीं था। समस्त बूब शासकों की भांति उस पर भी अपनी पत्नी मेरी आत्वानेत का बहुत प्रभाव था। वह ऑस्ट्रिया के सम्राट जोसेफ द्वितीय की बहन तथा दिवंगत रानी मेरिया थेरेसा की पुत्री थी यद्यपि उसमें उन जैसी निर्णय क्षमता न थी किन्तु वह अभिमानी जिददी, विवेकहीन एवं फिजूलखर्ची महिला थी। राज्य कार्यों के संचालन का उसे कोई अनुभव न था।

2. फ्रांस की सामाजिक स्थिति - फ्रांस का क्रान्ति पूर्व समाज तीन भागों में बांटा था जो निम्नवत था-

(i) पादरी वर्ग - फ्रांस का क्रान्ति पूर्व समाज तीन भागों में बांटा था जो फ्रांस की आम जनता का बड़ा हिस्सा रोमन कैथेलिक था। चर्च को राजकीय करों से मुक्त रखा गया था, जबकि चर्च का फ्रांस में शिक्षा, जन्म-मृत्यु के आंकड़ें, विवाह एवं अन्य सामाजिक-धार्मिक संस्कारों आदि पर नियंत्रण था। चर्च के कानून राज्य के कानूनों से पृथक् थे। चर्च कर भी एकत्र करता था, जिससे प्राप्त आय से चर्च के पास बहुत बड़ी मात्रा में संपत्ति थी। चर्च की बढ़ती हुई सम्पदा से पादरी अपने कार्यों और कर्त्तव्यों की घोर उपेक्षा करते थे। ये कारण थे जिन्होंने आम जनता के मन में चर्च के प्रति विक्षोभ को जन्म दिया।

पादरियों की दो श्रेणियाँ थीं-

(अ) उच्च पादरी
(ब) सामान्य पादरी

उच्च पादरी वर्ग में आर्कबिशप, ऐबे आदि पद थे। ये प्रायः कुलीनों के पुत्र होते थे। इनकी आय अधिक थी और ये ज्ञानपूर्वक और आरामदायक जीवन व्यतीत करते थे। धार्मिक कार्यों में उनकी रुचि बहुत कम थी। ये पादरी सामान्य पादरी वर्ग को हीन समझते थे। सामान्य पादरी वर्ग में हजारों स्थानीय गिरजाघरों के छोटे पादरी थे जो प्रायः निम्न वर्ग या कृषक वर्ग से आते थे। वे जनसाधारण के सभी धार्मिक कार्य करते थे और उनके दुःख- सुख में शामिल होते थे। किन्तु उनकी आय इतनी कम थी कि उससे कई बार इनके लिए जीवन निर्वाह करना कठिन हो जाता था। इनके मन में चर्च के उच्चाधिकारियों, जो उनकी अवेहलना करते थे और ठाठ- बाट से रहते थे, के प्रति घृणा एवं आक्रोश का होना स्वाभाविक था। यथार्थ में इस श्रेणी के पादरी फ्रांस के जनसाधारण के अधिक निकट थे और प्रचलित अन्यायपूर्ण व्यवस्था के दोषों से परिचित थे। इसी कारण उन्होंने क्रान्ति के समय जनता का समर्थन किया और इसे सफल बनाने में काफी सहयोग दिया।

(ii) कुलीन वर्ग - फ्रांस का क्रान्ति पूर्व समाज तीन भागों में बांटा था जो फ्रांस में राज्य, चर्च और सेना के सभी उच्च पद इसी वर्ग के हाथों में था और फ्रांस की समस्त भूमि का पांचवाँ भाग इनकी संपत्ति थी। अठारहवीं सदी के कुलीन वर्ग की एक प्रमुख विशेषता यह थी कि उसमें एकात्मकता एव समरूपता का अभाव था। वंश की प्राचीनता, सामाजिक कार्यों का स्वरूप, राजदरबार के साथ सम्बन्ध आदि के आधार पर कुलीन वर्ग अनेक उपवर्गों में विभाजित था। अभिजात एवं प्राचीन वंशों के सामन्त राजकृपा प्राप्त नवोइत कुलीनों को सैनिक पदों पर अधिकार रखने वाले कुलीन नागरिक प्रशासन के पदाधिकारी कुलीनों को और दरबारी कुलीन प्रान्तीय कुलीनों को हेय दृष्टि से देखते थे। आर्थिक दृष्टि से भी सभी सामन्त समान नहीं थे। अमीर और गरीब दोनों प्रकार के सामंत थे, परन्तु एक बात दोनों में समान थी कि दोनों ही किसानों का शोषण करते थे।

(iiii) सर्वसाधारण वर्ग - फ्रांस की 94 प्रतिशत जनता इस वर्ग से संबद्ध थी। यह वर्ग विशेषाधिकार एवं अन्य सुविधाओं से वंचित था परन्तु इस वर्ग में भी भारी असमानता थी और सामाजिक तथा आर्थिक दृष्टि से इस वर्ग के विभिन्न अंगों में व्यापक अन्तर था। मोटे तौर पर इस सामाजिक वर्ग में मध्यम वर्ग (बुर्जुआ वर्ग), दस्तकार एवं मजदूर और किसान थे

(अ) मध्यम वर्ग (बुर्जुआ वर्ग) - इस वर्ग में वे सभी लोग, जैसे- साहूकार, व्यापारी, शिक्षक, वकील, डाक्टर, लेखक, कलाकार, सरकारी कर्मचारी आदि शामिल थे, जो उद्योग, व्यवसाय एवं पेशे से सम्बन्धित थे तथा जिन्हें शारीरिक श्रम नहीं करना पड़ता था। संख्या की दृष्टि से इस वर्ग के सदस्य अल्पमत में थे। शासन के उच्च पदों को छोड़कर सभी पद इन्हीं लोगों के हाथों में थे। फ्रांस के मध्यम वर्ग के संबंध में मुख्य बात यह थी कि फ्रांस में ग्रामीण एवं शहरी जनता के बीच कोई स्थाई विभेद नहीं था और इसी कारण नगरों में रहते हुए भी मध्यम वर्ग किसान एवं जनता से घनिष्ठ सम्बन्ध रखता था और इसीलिए क्रान्ति के दौरान वह उनका समर्थन पा सका। क्रान्ति पूर्व इस वर्ग में काफी असन्तोष था।

(ब) दस्तकार व मजदूर - फ्रांस का क्रान्ति पूर्व समाज तीन भागों में बांटा था जो इनकी दशा अच्छी नहीं थी। इनको वेतन कम मिलता था तथा काम का समय बहुत ज्यादा था। वे मध्यम वर्ग के पूंजीपतियों की दया पर निर्भर थे, जो अपनी श्रेणियों तथा निगमों द्वारा उद्योग-धन्धों तथा व्यापार पर नियंत्रण रखते थे। उनमें से अधिकांश शहरों में रहते थे, जिससे इनका सम्पर्क नगरों के शिक्षित एवं प्रबुद्ध वर्ग से था। इसलिए इनमें पर्याप्त राजनीतिक चेतना थी।

(स) कृषक - कृषक फ्रांसीसी जनता का सबसे बड़ा भाग थे। इसके बाद भी उनकी दशा सर्वाधिक निम्न एवं शोचनीय थी। अठारहवीं सदी में मंहगाई के कारण भी इन्हें कष्ट उठाना पड़ा था। फ्रांस में कृषकों के दो वर्ग थे प्रथम स्वतंत्र किसान तथा द्वितीय, अर्धदास। स्वतंत्र किसान अपनी भूमि का मालिक था किन्तु अर्धदास किसान अपनी इच्छा से अपने मालिक जमींदार की भूमि को त्यागकर बाहर नहीं जा सकता था। दोनों वर्गों के किसान कुलीनों के शोषण के शिकार थे। उन्हें राजा, चर्च और जमींदार को अनेक प्रकार के कर तथा नजराने देने पड़ते थे। कर भुगतानों में किसान की आमदनी का 80% भाग चला जाता था। उन्हें जागीरदार के यहाँ पर बेगार भी करना पड़ता था। वास्तव में किसानों के असन्तोष का मुख्य कारण उनकी गरीबी न होकर सामन्तों द्वारा दिये जाने वाले कष्ट एवं असुविधाएँ थीं। अधिकांश कृषक ठेके पर भूमि जोतने वाले थे और भूमि पर उनका अधिकार नहीं था, इसलिए भी उनमें असंतोष था। किन्तु योग्य नेतृत्व के अभाव में यह असन्तोष अभिव्यक्ति में परिणत नहीं हो पा रहा था।

3. फ्रांस की आर्थिक स्थिति - फ्रांस का क्रान्ति पूर्व समाज तीन भागों में बांटा था जो फ्रांस की राज क्रान्ति का एक प्रधान कारण आर्थिक स्थिति थी। फ्रांस लुई चौदहवें के लम्बे और विनाशकारी युद्धों से आर्थिक रूप से विपन्न हो चुका था। इस सबके बावजूद लुई पंद्रहवें ने युद्धों को जारी रखा। यूरोप और अंतर्राष्ट्रीय विवादों में बेवजह फ्रांस को फंसाया। अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में फ्रांस बिना किसी कारण के एक हिस्सा बन गया जिसने आर्थिक संकट को गहरा किया। फ्रांस की कमजोर होती आर्थिक स्थिति का एक कारण फ्रांस की सामाजिक स्थिति भी था। फ्रांस की कुल आबादी में राजा, कुलीन और चर्च के पादरी आदि वर्ग के द्वारा किसी प्रकार का कोई कर नहीं दिया जाता था। इसके बावजूद एकत्र राजस्व का व्यय सर्वाधिक इन्हीं के हित-रक्षण में किया जाता था। यह स्थिति दीर्घकाल तक जारी नहीं रह सकती थी। फ्रांस का यह अनुत्पादक वर्ग करों के निर्धारण में भी आम जनता की कोई राय नहीं मांगता था और उनकी आवाज बुलन्द करने वाली किसी प्रजातांत्रिक संस्था का कोई अस्तित्व न रह गया।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- यूरोप में राष्ट्रीय राज्यों के उदय का वर्णन कीजिए और उनके पतन की समीक्षा कीजिए
  2. प्रश्न- फिलिप-II की विदेश नीति एवं धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- फिलिप-II की धार्मिक नीति पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- एक वंशानुगत शासक के रूप में चार्ल्स पंचम की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- रूस के आधुनिकीकरण हेतु पीटर महान ने क्या उपाय किये
  6. प्रश्न- "एलिजाबेथ का शासनकाल इंग्लैंड के इतिहास का स्वर्ण युग था।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  7. प्रश्न- सामन्तवाद के पतन के लिए उत्तरदायी कारणों का उल्लेख कीजिए। (कानपुर 2012)
  8. प्रश्न- यूरोपीय सामन्तवाद की विशेषतायें बताइये।
  9. प्रश्न- स्पेन के सम्राट चार्ल्स पंचम पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
  10. प्रश्न- राष्ट्रीय राज्यों के उदय के कारण स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- निरंकुशवाद की विशेषतायें बताइये।
  12. प्रश्न- राष्ट्रीय राज्यों के उदय के परिणामों पर प्रकाश डालिए।
  13. प्रश्न- स्पेन के उत्कर्ष के क्या कारण थे?
  14. प्रश्न- रूस के पीटर महान का प्रबुद्ध निरंकुश शासक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
  15. प्रश्न- चार्ल्स पंचम के शासनकाल की प्रमुख गतिविधियों का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- चार्ल्स पंचम की गृह नीति की विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- सोलहवीं सदी में यूरोप में राष्ट्रीयता का उदय किन तत्वों के अन्तर्सयोजन का परिणाम था?
  18. प्रश्न- स्पेन के पंतन के क्या कारण थे?
  19. प्रश्न- नीदरलैण्ड के विद्रोह के क्या कारण थे?
  20. प्रश्न- हेनरी चतुर्थ ने फ्रांस को किस प्रकार सुदृढ़ किया था? स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- प्रबुद्ध निरंकुशवाद से आप क्या समझते हैं?
  22. प्रश्न- कैथेरिन द्वितीय के जीवन चरित्र एवं कार्यों का मूल्याँकन कीजिए।
  23. प्रश्न- पीटर महान की 'खुली खिड़की' की नीति के विषय में आप क्या जानते थे? इस नीति के क्रियान्वयन में वह कहाँ तक सफल रहा?
  24. प्रश्न- प्रबुद्ध निरंकुशवाद के पतन के क्या कारण थे?
  25. प्रश्न- फर्डीनेण्ड और ईसाबेला की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- फिलिप द्वितीय की गृहनीति की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- तानाशाही के गुण एवं दुर्गुण क्या हैं?
  28. प्रश्न- हेनरी चतुर्थ की विदेश नीति पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- हेनरी सप्तम की गृहनीति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- कैथरीन द्वितीय की धार्मिक नीति का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- हेनरी अष्टम् की धार्मिक नीति का वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- मेरी ट्यूडर का मूल्याँकन कीजिए।
  33. प्रश्न- चार्ल्स द्वितीय की विदेश नीति पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- हेनरी अष्टम् व पोप के मध्य संघर्ष का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- चार्ल्स पंचम की धार्मिक नीति पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- क्या फ्रेडरिक महान को सही अर्थों में एक प्रबुद्ध निरंकुश शासक कहा जा सकता है?
  37. प्रश्न- लुई ग्यारहवाँ क्या वास्तव में 'फ्रांसीसी राष्ट्र निर्माता' था? स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- प्रोटेस्टेण्ट धर्म की विशेषताएँ क्या थीं?
  39. प्रश्न- 16वीं सदी की धार्मिक उथल-पुथल का क्या प्रभाव पड़ा?
  40. प्रश्न- काल्विनवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- ऐंग्लिकन चर्च का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- काल्विनवाद के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- पुनर्जागरण से क्या तात्पर्य है? पुनर्जागरण के विभिन्न कारणों का उल्लेख कीजिए।
  44. प्रश्न- पुनर्जागरण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- यूरोपीय देशों के जनजीवन पर पुनर्जागरण के प्रभावों की विस्तार सहित व्याख्या कीजिए?
  46. प्रश्न- यूरोप में पुनर्जागरण के फलस्वरूप मानव के सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक क्षेत्र में क्या परिवर्तन हुए? स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- पुनर्जागरण की शुरूआत इटली से ही क्यों हुई?
  48. प्रश्न- पुनर्जागरण की प्रमुख विशेषताएँ या लक्षण क्या थे?
  49. प्रश्न- पुनर्जागरण का राजनीतिक क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा था?
  50. प्रश्न- पुनर्जागरण का स्थापत्य कला के क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा?
  51. प्रश्न- पुनर्जागरण का मूर्तिकला के क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़ा?
  52. प्रश्न- पुनर्जागरण का संगीत कला पर क्या प्रभाव पड़ा?
  53. प्रश्न- पुनर्जागरण का विज्ञान के क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़ा?
  54. प्रश्न- पुनर्जागरणकाल के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- जर्मनी में पुनर्जागरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- रोम में पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं?
  57. प्रश्न- पुनर्जागरण काल में इटली में साहित्य एवं कला के विकास की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- पुनर्जागरण का साहित्य के क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़ा?
  59. प्रश्न- यूरोप में धर्म सुधार आन्दोलन का वर्णन कीजिए। काल्विनवाद तथा लूथरवाद की तुलना कीजिए।
  60. प्रश्न- काल्विनवाद से आप क्या समझते हैं? काल्विन का लूथर से तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  61. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के महत्व एवं परिणामों का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- धार्मिक सुधार प्रतिक्रिया आन्दोलन में कौन-कौन से सहायक तत्त्व थे?
  63. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इस आन्दोलन की पृष्ठभूमि तथा कारणों की व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के तात्कालिक कारण बताइये।
  65. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के बौद्धिक जागरण सम्बन्धी कारण बताइये।
  66. प्रश्न- धर्म सुधार के आर्थिक एवं धार्मिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
  67. प्रश्न- धर्म सुधार के राजनीतिक कारणों को समझाइये।
  68. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन में मार्टिन लूथर के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
  69. प्रश्न- प्रतिधर्म सुधार आन्दोलन से आप क्या समझतें हैं?
  70. प्रश्न- "धर्म सुधार आन्दोलन पोप-पद की सांसारिकता का भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक नैतिक विद्रोह था।' वाइनर एवं मार्टिन के इस कथन की विवेचना कीजिए।
  71. प्रश्न- प्रति धर्म सुधार आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व और परिणामों का विश्लेषण कीजिए।
  72. प्रश्न- प्रतिवादी धर्म सुधार आन्दोलन को निरूपित कीजिए।
  73. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के क्या कारण थे?
  74. प्रश्न- धर्म सुधार आंदोलन के परिणामों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- मार्टिन लूथर के बारे में आप क्या जानते हैं?
  76. प्रश्न- मार्टिन लूथर के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के आर्थिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के क्या राजनीतिक कारण थे?
  79. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन का तात्कालिक कारण क्या था?
  80. प्रश्न- आग्सबर्ग संधि की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन का यूरोप के राजनैतिक और आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ा?
  82. प्रश्न- ऐंग्लिकन विचारधारा का धर्म सुधार आन्दोलन में क्या योगदान रहा?
  83. प्रश्न- इंग्लैंड में धर्म सुधार के क्या कारण थे?
  84. प्रश्न- जैसुइट संघ का महत्व बताइए।
  85. प्रश्न- फ्रांस में धर्म सुधार आन्दोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  86. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के स्वरूप को बताइये।
  87. प्रश्न- जर्मनी के धर्म सुधार आन्दोलन के क्या कारण थे?
  88. प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- यूरोप में कैथोलिक चर्च ने धार्मिक आन्दोलनों को रोकने के लिए क्या प्रयास किए? इन प्रयासों में उसे कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई?
  90. प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के विकास की प्रमुख घटनाओं का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  92. प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के क्या परिणाम हुए व इसका यूरोपीय इतिहास में क्या महत्व है?
  93. प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के परिणामों को संक्षेप में बताइए।
  94. प्रश्न- वेस्टफालिया की सन्धि पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  95. प्रश्न- वेस्टफेलिया की सन्धि के क्या प्रावधान थे?
  96. प्रश्न- वेस्टफेलिया की सन्धि के क्या परिणाम हुए?
  97. प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध में स्पेन की पराजय के क्या कारण थे?
  98. प्रश्न- इंग्लैण्ड ने सन् 1688 ई. की क्रान्ति के कारणों तथा परिणामों की व्याख्या कीजिए। इस क्रान्ति को 'गौरवपूर्ण (वैभवशाली) क्रान्ति तथा रक्तहीन क्रान्ति क्यों कहा जाता है?
  99. प्रश्न- 1688 ई. क्रान्ति के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
  100. प्रश्न- क्रान्ति के प्रभाव अथवा परिणामों का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- हेनरी सप्तम ने इंग्लैण्ड में किस प्रकार एक सुदृढ़ राज्य की स्थापना की थी? समझाइये।
  102. प्रश्न- हेनरी सप्तम की गृह नीति अथवा आन्तरिक उपलब्धियों के बारे में ज्ञात कीजिए।
  103. प्रश्न- हेनरी सप्तम की सफलता के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- हेनरी सप्तम की विदेश नीति के बारे में बताइए।
  105. प्रश्न- एलिजाबेथ का शासनकाल इंग्लैण्ड के इतिहास में स्वर्ण युग था। इस कथन के औचित्य को सिद्ध कीजिए।
  106. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में संसदीय सुधारों का क्रमागत अध्ययन प्रस्तुत कीजिए। (कानपुर 2018)
  107. प्रश्न- एलिजाबेथ के शासनकाल में इंग्लैण्ड की नीति के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
  108. प्रश्न- एलिजाबेथ की वैदेशिक उपलब्धियों को समझाइये।
  109. प्रश्न- गौरवपूर्ण क्रान्ति के धार्मिक परिणाम क्या निकले?
  110. प्रश्न- गुलाबों के युद्ध के महत्त्व को समझाइए।
  111. प्रश्न- इंग्लैण्ड की क्रान्ति की विवेचना कीजिए।
  112. प्रश्न- इंग्लैण्ड की वैभवपूर्ण क्रान्ति का महत्व बताइये।
  113. प्रश्न- एलिजाबेथ के समझौते पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  114. प्रश्न- चार्ल्स द्वितीय कौन था?
  115. प्रश्न- इंग्लैंड के द्वितीय गृहयुद्ध (1646-1649 ई.) के संक्षिप्त परिणाम लिखिए।
  116. प्रश्न- एलिजाबेथ के चरित्र का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- 1688 की गौरवपूर्ण क्रान्ति के राजनीतिक, धार्मिक तथा तात्कालिक कारणों को संक्षेप में बताइए।
  118. प्रश्न- इंग्लैण्ड की क्रान्ति को रक्तहीन क्रान्ति क्यों कहा जाता है?
  119. प्रश्न- इंग्लैण्ड के भारतीय उपनिवेश की स्थापना पर प्रकाश डालिए।
  120. प्रश्न- इंग्लैण्ड की एलिजाबेथ प्रथम की विदेश नीति का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  121. प्रश्न- 'इंग्लैण्ड' में संसदीय व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिये।
  122. प्रश्न- गौरवपूर्ण क्रांति के परिणाम स्पष्ट कीजिए।
  123. प्रश्न- इंग्लैंड द्वारा उत्तरी अमेरिका में उपनिवेश की स्थापना का वर्णन कीजिए।
  124. प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? अमेरिकी क्रान्ति के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  125. प्रश्न- अमेरिका की क्रांति के घटना चक्र का वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- क्रान्ति पूर्ण अमेरिका की स्थिति पर प्रकाश डालिए तथा अंग्रेजों की असफलता के कारण बताइए।
  127. प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति का स्वरूप क्या था? क्रान्ति के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  128. प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति के महत्व का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  129. प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  130. प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति प्रभावों को विवेचना कीजिए।
  131. प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति का स्वरूप बताइए।
  132. प्रश्न- अमेरिका में उपनिवेशवाद के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  133. प्रश्न- अमेरिका के स्वतन्त्रता संग्राम के दो कारण बताइये।
  134. प्रश्न- 'बोस्टन टी पार्टी' से आप क्या समझते हैं?
  135. प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति के प्रमुख कारणों में उस पर इंग्लैण्ड द्वारा लगाये जाने वाले नवीन कर व एक्ट भी थे। स्पष्ट कीजिए।
  136. प्रश्न- अमेरिकी क्रांति के महत्व का परीक्षण कीजिए
  137. प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति के परिणामों को संक्षेप में बताइए।
  138. प्रश्न- "फ्रांस की क्रांति जितनी शस्त्रों का संघर्ष थी उतनी ही विचारों की " कथन को स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- 1789 की क्रांति से पूर्व फ्रांस की राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के तात्कालिक, सामाजिक तथा राजनीतिक कारणों को बताइए।
  141. प्रश्न- बौद्धिक आन्दोलन का फ्रांस की क्रांति पर क्या प्रभाव पड़ा?
  142. प्रश्न- फ्राँस में ही क्रान्ति क्यों हुई? स्पष्ट करें।
  143. प्रश्न- फ्रांस की राज्य क्रान्ति के क्या परिणाम थे?
  144. प्रश्न- सन् 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के महत्त्व पर प्रकाश डालिए। फ्रांस में ही क्रान्ति पहले क्यों हुई?
  145. प्रश्न- फ्रांसीसी क्रान्ति के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारण बताइये।
  146. प्रश्न- स्वतन्त्रता, समानता तथा बन्धुत्व की भावनाएँ 1789 की फ्रांसीसी क्रान्ति का परिणाम थी। परीक्षण कीजिए।
  147. प्रश्न- फ्रांसीसी क्रान्ति (सन् 1789 ई.) के राजनैतिक कारण बताइए।
  148. प्रश्न- फ्रांसीसी क्रान्ति की उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  149. प्रश्न- रूसो कौन था उसके विचारों की समीक्षा कीजिए।
  150. प्रश्न- 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के आर्थिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  151. प्रश्न- दांते कौन था? फ्रांसीसी क्रान्ति में उसका क्या योगदान रहा?
  152. प्रश्न- वाल्टेयर तथा दिदरों के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  153. प्रश्न- क्वेस्ने तथा मान्टेस्क्यू के विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
  154. प्रश्न- फ्रांसीसी क्रांति का प्रारम्भ किस प्रकार हुआ?
  155. प्रश्न- 1789 की फ्रांस की क्रांति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  156. प्रश्न- बास्तील के पतन पर संक्षित टिपणी लिखिये।
  157. प्रश्न- फ्रांस की पुरातन व्यवस्था की मुख्य कमियों की विवेचना कीजिए।
  158. प्रश्न- "जैकोबिन क्लब" की फ्रांस की क्रांति में क्या भूमिका थी?
  159. प्रश्न- जिरोंदिस्तों की फ्रांस की क्रांति में क्या भूमिका थी?
  160. प्रश्न- 1789 ई. में फ्रांस की क्रांति के समय तत्कालीन राजा और रानी की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  161. प्रश्न- फ्रांस में 14 जुलाई का महत्व क्यों है?
  162. प्रश्न- "नेपोलियन क्रांति का मित्र एवं शत्रु दोनों था।" चर्चा कीजिये।
  163. प्रश्न- 1799 के संविधान पर प्रकाश डालिए। प्रथम सलाहकार के रूप में नेपोलियन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  164. प्रश्न- नेपोलियन की महाद्वीपीय व्यवस्था क्या थी? इसकी असफलता के क्या कारण थे?
  165. प्रश्न- महाद्वीपीय व्यवस्था की असफलता को समझाइए।
  166. प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट के पतन के क्या कारण थे?
  167. प्रश्न- "मैं क्रान्ति का पुत्र हूँ।"मैंने क्रान्ति को नष्ट किया।" नेपोलियन के इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  168. प्रश्न- 'यदि नेपोलियन बोनापार्ट का अन्त वर्ष 1807 में हो जाता, तो वैश्विक सैन्य इतिहास में वह सर्वश्रेष्ठ माना जाता।" कथन का परीक्षण कीजिए।
  169. प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस के पुनर्निर्माण के लिए क्या प्रयत्न किये?
  170. प्रश्न- नेपोलियन की महाद्वीपीय व्यवस्था संक्षेप में बताइए।
  171. प्रश्न- टिलसिट की सन्धि पर एक टिप्पणी लिखिए।
  172. प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट के प्रारम्भिक जीवन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  173. प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट वाटरलू के युद्ध में क्यों असफल रहा?
  174. प्रश्न- 1804 1807 के मध्य नेपोलियन के उत्कर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  175. प्रश्न- नेपोलियन के सौ दिनों के शासन पर लेख लिखिए।
  176. प्रश्न- सम्राट के रूप में नेपोलियन का मूल्यांकन कीजिए।
  177. प्रश्न- नेपोलियन युग का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  178. प्रश्न- नेपोलियन द्वारा राजतन्त्रवादियों के विद्रोहों के दमन पर लघु लेख लिखिए।
  179. प्रश्न- नेपोलियन पर रोमन कानून का क्या प्रभाव पड़ा?
  180. प्रश्न- नेपोलियन की सफलता के प्रमुख कारण कौन-कौन से थे? स्पष्ट कीजिए।
  181. प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस के सम्राट का पद कैसे ग्रहण किया? अतः जनता ने उसे क्यों मान्यता दी?
  182. प्रश्न- नेपोलियन के प्रशासन सम्बन्धी सुधारों का वर्णन करो?
  183. प्रश्न- नेपोलियन प्रथम के पतन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  184. प्रश्न- प्रथम कॉन्सल के रूप में नेपालियन द्वारा किए गए सुधारों का वर्णन कीजिए।
  185. प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट का मूल्यांकन कीजिए।
  186. प्रश्न- नेपोलियन के सार्वजनिक और शिक्षा सम्बन्धी सुधारों का वर्णन कीजिए?

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